कोशिश मेरी,
जारी है,
इक दिन ,
मैं खुद को,
इंसान बना लूंगा॥
जब्त कर लूंगा ,
सारा गुस्सा ,
और नफरत भी,
भीतर ही अपने,
अभिमान दबा दूंगा॥
तुम रख लेना,
मेरे हिस्से की,
खुशी का,
कतरा-कतरा,
तुम्हारे सारे,
ग़मों को अपना,
मेहमान बना लूंगा॥
उखड जायेंगे,
सियासतदानों के,
महल और,
मनसूबे भी,
बेबसों की,
आहों को वो,
तूफान बना दूंगा॥
तुम डरो न,
की कहीं ,
मेरे हमनाम,
बन कर,
बदनाम ना हो जाओ,
जब कहोगे,
खुद को, तुमसे,
अनजान बना लूंगा॥
बेशक मुझे,
बड़े नामों में,
कभी गिना ना जाए,
बहुत छोटी ही सही,
मगर अपनी,
पहचान बना लूंगा।
कोशिश जारी है और आगे भी रहेगी...
प्रचार खिडकी
गुरुवार, 21 जनवरी 2010
इक दिन ,, मैं खुद को, इंसान बना लूंगा
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उखड जायेंगे,
जवाब देंहटाएंसियासतदानों के,
महल और,
मनसूबे भी,
बेबसों की,
आहों को वो,
तूफान बना दूंगा॥
वाह क्या बात है अजय जी.बहुत खूब.
तुम डरो न,
जवाब देंहटाएंकी कहीं ,
मेरे हमनाम,
बन कर,
बदनाम ना हो जाओ,
जब कहोगे,
खुद को, तुमसे,
अनजान बना लूंगा॥
वाह-वाह बहुत सुन्दर , आज तो छा गए गुरु ! हाँ, कोशिश जारी रहनी चाहिए !
aapki kosis ki daad deni ajay saahab!
जवाब देंहटाएंaapki ye kavita aapki koshis ka naayab namuna hai.
aisi hi koshise ek aadmi ko insaan bana sakti hain.
रद्दी की टोकरी में, मिला माल बड़े काम का।
जवाब देंहटाएंनीक संकल्पक भाव, जोश सहित भावोत्तेजक रचना अजय जी।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
जब कहोगे,
जवाब देंहटाएंखुद को, तुमसे,
अनजान बना लूंगा॥
झा जी नीक कहिन,
जोर दार
ब्लॉग का नाम बदलकर हीरों की तिजोरी कर लिया जाये।
जवाब देंहटाएंबहुत हीं सार्थक एवं मनोबल बढाने वाली रचना ।
जवाब देंहटाएंएक अदद इंसान बनने के लिए कितनी क़वायद करनी पड़ती है न!
जवाब देंहटाएंतुम डरो न,
जवाब देंहटाएंकी कहीं ,
मेरे हमनाम,
बन कर,
बहुत खुब, क्या बात है रद्दी की टोकरी मै कीमती माल मिल जाता है
वाह अजय भईया ,क्या बात है आज तो आप छा गये, लाजवाब प्रस्तुति, बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंछा गए जी
जवाब देंहटाएंतुम रख लेना,
जवाब देंहटाएंमेरे हिस्से की,
खुशी का,
कतरा-कतरा,
तुम्हारे सारे,
ग़मों को अपना,
मेहमान बना लूंगा॥
vवाह झा जी आजकल तो कमाल कर रहे हैं। बहुत सुन्दर कविता है आपकी कवितायें बहुत कम पढी हैं लगता है कविताओं मे भी अपनी पहचान बनाने की पूरी तैयारी है बधाई
बहुत हीं सार्थक एवं मनोबल बढाने वाली रचना ।
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