प्रचार खिडकी

शुक्रवार, 27 नवंबर 2009

वैश्विक आतंकवाद की बढ़ती चुनौती (सच कहूं ), सिरसा हरियाणा में प्रकाशित एक आलेख


वैश्विक आतंकवाद पर लिखा गया एक आलेख जो सिरसा हरियाणा के दैनिक ,सच कहूं में प्रकाशित हुआ ॥

सोमवार, 23 नवंबर 2009

शिक्षा का व्यावसायीकरण : डेली हिंद मिलाप (हैदराबाद ) में प्रकाशित एक आलेख ॥

शिक्षा का व्यावसायीकरण : डेली हिंद मिलाप (हैदराबाद ) में प्रकाशित एक आलेख ॥ आलेख को पढने के लिए उस पर दो बार चटका लगाएं ॥

शनिवार, 21 नवंबर 2009

ब्लॉग लेखन अभिव्यक्ति का नया मंच : (दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित एक आलेख )







चित्र को पढने के लिये उस पर चटका लगाएं ..॥
ब्लोगिंग को विषय बना कर लिखा गया मेरा ये आलेख ब्लोगिंग के शुरूआती दिनों में लिखा गया था , और लगभग २८ समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ था , समय की कमी के कारण ," ब्लोग बातें " नामका एक नियमित कालम शुरू नहीं कर पा रहा हूं मगर जल्दी ही कर पाऊंगा इसकी उम्मीद है ॥

शनिवार, 7 नवंबर 2009

क्यों खो रहा है बचपन ( दैनिक पंजाब केसरी में प्रकाशित एक आलेख )







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बच्चों के हालातों पर , लिखा गया एक सामयिक आलेख जिसे दैनिक पंजाब केसरी, दिल्ली संस्करण में स्थान मिला ।ये उन दिनों की बात है जब मैं अजय (रमाकांत) ( मेरे पिताजी का नाम ) के उपनाम से लिखा करता था

शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

खामोश ! हम वसूली पर हैं (दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित एक व्यंग्य )



दिल्ली पुलिस के असाधारण और इतने कर्मठता से ड्यूटी करने की प्रेरणा से प्रेरित होकर ..एक श्रद्धांजलि टाईप की पोस्ट ..उनके लिये....॥











(चित्र को बडा करने के लिये उस पर चटका लगाएं )

रविवार, 1 नवंबर 2009

तुम्हारी हसरतों का फ़साना कह जाती हैं अंगडाईयां..

















भीड के साथ होता हूं
पर भीड साथ नहीं देती,
अक्सर
मेरा साथ देती हैं मेरी तन्हाईयां ॥



बेशक न कहो होठो से,
और पलकों से इशारे न करो,
तुम्हारी हसरतों का
फ़साना कह जाती हैं अंगडाईयां ॥



सबके मुकदमे
सालों साल नहीं चला करते,
हाकिम हुक्कामो की
होती हैं चंद सुनवाईयां ॥



कई करते हैं कत्ल पे कत्ल तो
कहीं जिक्र भी नहीं होता,
कई खुद का कत्ल कर लेते हैं
तो भी होती हैं रुस्वाईयां ॥




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