जब भी ग्राम प्रवास पर निकलता हूं तो मेरी सबसे बडी कोशिश ये होती है कि पत्थरों के इन जंगल से निकल कर प्रकृति के करीब से होकर गुजरती जिंदगी के एक एक लम्हे को यादों में कैद करके सहेज़ लिया जाए , क्या पता कल होकर जिंदगी रहे न रहे , ये प्रकृति वैसी रहे न रहे ..यादें तो हमेशा ही शाश्वत रहती हैं , इन्हें यहां सहेज़ने के पीछे यही एकमात्र उद्देश्य है और हां फ़ोटो खींचने में आनंद तो आता ही है , आप भी देखें कुछ फ़ोटो ...........
![Photo: कुदरत के करिश्मे को जितना निहारा जाए कम ही लगता है .........रेल की खिडकी से खींची गई एक और फ़ोटो ......आप उकता तो नहीं रहे हैं न :) :) :) :)](https://fbcdn-sphotos-a-a.akamaihd.net/hphotos-ak-ash3/t1/p526x296/1920393_10203221666090875_1921565110_n.jpg)
![Photo: आज की फ़ोटो ......वही रेल ..वही खिडकी ..वही कैमरा ..वही मैं ;) ;) ;) ;)](https://fbcdn-sphotos-d-a.akamaihd.net/hphotos-ak-prn2/t1/p526x296/1958300_10203215031845023_540021153_n.jpg)
![Photo: रेल की खिडकी से .........और हां एक बार फ़िर बताता चलूं कि ये मेरे गांव से दिल्ली वापसी की रेल यात्रा के दौरान खिडकी वाली सीट पर जमे होने के कारण धडाधड खींची जाने वाली फ़ोटो में से एक है .......दूर भट्ठे की चिमनी ............................](https://fbcdn-sphotos-f-a.akamaihd.net/hphotos-ak-ash3/t1/p526x296/1926810_10203207268610947_721245145_n.jpg)
![Photo: रेल की खिडकी से .......................दूर बहुत दूर जाते सूरज चचा , बोझिल सी खुमारी में डूबती सी सांझ ..........](https://fbcdn-sphotos-h-a.akamaihd.net/hphotos-ak-ash3/t1/p526x296/1690093_10203201091296518_1549333643_n.jpg)