प्रचार खिडकी
बुधवार, 29 सितंबर 2010
दैनिक हरिभूमि में , प्रकाशित मेरा एक आलेख
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
मंगलवार, 28 सितंबर 2010
हाशिए पर तलाकशुदा महिलाएं : ( साप्ताहिक , गांडीव , वाराणसी में प्रकाशित मेरा एक आलेख )
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
शनिवार, 25 सितंबर 2010
पितृपक्ष और मां की आत्मा की तृप्ति .........अजय कुमार झा
मेरी मां
"हैलो ! भईया मैं संजय बोल रहा हूं ...सुनिये , पितृ पक्ष चल रहे हैं न , तो तिथि के अनुसार आज मां के लिए तर्पण करना था , ब्राम्हणों को खाना खिलाना था . दान पुण्य करना था । मगर आपको तो कुछ पता ही नहीं होगा न ....आप कौन सा सबके टच में रहते हैं , किसी से बात भी नहीं होती ज्यादा आपकी । वैसे तो ये आपका ही फ़र्ज़ है , मगर छोडिए आप लोग भी न ????" कह कर उसने फ़ोन काट दिया ।
एक सन्नाटा पसर गया था कमरे में , तभी सामने टेबल पर रखी मां की फ़ोटो से आवाज आई , " बेटे , क्या सोच रहा है । मेरे जाने के बाद जिस तरह से तू पिताजी की सेवा कर रहा है , उनका ध्यान रख रहा है ..उसे देख कर मेरी आत्मा तृप्त हो गई है बिल्कुल , तू चिंता मत कर मेरे लाल , बस पिताजी का ख्याल यूं ही रखते रहना ...बहुत बहुत प्यार और आशीर्वाद "
मां और पिताजी की एक तस्वीर , जब पिताजी रिटायर होकर आए थे
मैं अब निश्चिंत था कि , मुझे मां की आत्मा की तृप्ति के लिए ...अब किसी पितृपक्ष का मोहताज नहीं रहना होगा .....
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
गुरुवार, 23 सितंबर 2010
शॉपिंग मॉल की हसीन शाम : ( दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित मेरा एक व्यंग्य )
लेबल:
published article
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
बुधवार, 22 सितंबर 2010
मेरे कॉलम "ब्लॉग हलचल " में , न्यायालीय फ़ैसले का ज़िक्र करती हुई , शब्द - संसद , गपशप का कोना , नेपथ्यलीला ,पंचर टायर और सवाल आपका है...ब्लॉगस की पोस्ट का ज़िक्र
दिल्ली से प्रकाशित साप्ताहिक "अभी तक क्राईम टाईम्स "में मेरे कॉलम में "ब्लॉग हलचल " में , न्यायालीय फ़ैसले का ज़िक्र करती हुई , शब्द - संसद , गपशप का कोना , नेपथ्यलीला ,पंचर टायर और सवाल आपका है...ब्लॉगस की पोस्ट का ज़िक्र । यहां मैं मित्रों/पाठकों को बता दूं कि पिछले कुछ समय से इस कॉलम को स्थगित कर दिया था , कुछ कारणों से , किंतु अब पुन: इसे सक्रिय करने जा रहा हूं । आगामी विषय होंगे "अयोध्या पर फ़ैसला " , कशमीर प्रकरण , और राष्ट्रमंडल खेल आदि ।पढने के लिए उस पर चटका लगा दें और अलग खुली खिडकी में आराम से पढें ।
लेबल:
published article
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
मंगलवार, 21 सितंबर 2010
खेलों का भविष्य : भविष्य से खिलवाड (दैनिक विराट वैभव , दिल्ली में प्रकाशित मेरा एक आलेख )
लेबल:
published article
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
सोमवार, 20 सितंबर 2010
हिंदी दिवस पर लिखा गया और हरिभूमि में मेरा एक प्रकाशित लेख, दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित एक व्यंग्य
दैनिक हरिभूमि में प्रकाशित एक आलेख
दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित एक व्यंग्य
दोनों ही कतरनों को पढने के लिए उस पर चटका लगा दें, छवि बडी होकर अलग खिडकी में खुल जाएगी और आप सुविधानुसार उसे पढ सकते हैं ॥
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
रविवार, 19 सितंबर 2010
बुजुर्ग : अनुभवी ,अनमोल, मगर उपेक्षित : दैनिक सच कहूं सिरसा में प्रकाशित मेरा एक आलेख
लेबल:
published article
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
गुरुवार, 16 सितंबर 2010
ओह ! वो श्वेत श्याम फ़ोटो का जमाना ...
यूं तो अपने उस पिछले जमाने की बात ही कुछ और थी .....बेशक आज का जमाना भी आगे शायद इसी तरह याद किया जाए ...हालांकि जितनी तेज ये दुनिया भाग रही है उसमें मुझे शक है कि ....आने वाली दुनिया के पास इतना वक्त भी होगा कि नहीं .....मगर इसमें कोई संदेह नहीं कि ...वो जो जमाना था न रेट्रो वाला ...........आहाहा .......सोच सोच के ही मन आनंदित हो जाता है ...उस जमाने के हर बात में ...एक बात थी ..चलिए छोडिए ...।
आज अचानक अपनी कुछ श्वेत श्याम फ़ोटुएं हाथ लग गईं ...तो ध्यान आया कि ..क्या क्रेज़ हुआ करता था फ़ोटुओं का ..। उस समय फ़ोटुओं से जुडी भी एक अलग ही दुनिया होती थी ...और कुछ भयंकर युनिवर्सल टाईप की प्रथाएं थीं .....जैसे कि विवाह के पश्चात ..स्टूडियो जाकर ..सपत्नीक एक फ़ोटो खिंचवाना ....और हां उसकी तीन कॉपी होना जरूरी था .....एक लडके के घरवालों के लिए , एक लडकी के घर के लिए ....और एक जोडे के लिए भी ....। पासपोर्ट साईज़ की फ़ोटो भी बडे चाव से खींची खिंचाई जाती थी ...। और आजकल का डिजिटल जमाना नहीं कि जब मन किया बार बार क्लिक करके खींचते रहे ..सजा संवार के ........जब तक कि थोबडा ..एकदम हीरो हीरोईन सा न दिखे ..। तब तो एक क्लिक और हो गया ....या तो बोलो राम ....या फ़िर पक्का राम राम ।
उन्हीं दिनों की एक फ़ोटो आपके लिए यहां चेपे जा रहा हूं .....देखिए और बताइए कि मैं इसमें कहां हूं ?????
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
रविवार, 12 सितंबर 2010
ऑपरेशन वसूली ( पंजाब केसरी में प्रकाशित मेरा एक व्यंग्य )
लेबल:
published article
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
शनिवार, 11 सितंबर 2010
दैनिक पंजाब केसरी में प्रकाशित मेरा एक फ़ीचर
लेबल:
published article
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
सदस्यता लें
संदेश (Atom)