....... फ़ोटो खींचने और सहेज़ने की स्वाभाविक सी आदत कब शौक बन गई पता ही नहीं चला , अब उन सहेज़ी गई फ़ोटो को "शब्द-चित्रों" के रूप में प्रस्तुत करने का एक प्रयास किया है .............