....... फ़ोटो खींचने और सहेज़ने की स्वाभाविक सी आदत कब शौक बन गई पता ही नहीं चला , अब उन सहेज़ी गई फ़ोटो को "शब्द-चित्रों" के रूप में प्रस्तुत करने का एक प्रयास किया है .............
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टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....
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