उन्हें शक है कि उजले , चमकीले ,
शहरों में ,शायद कभी कोई नहीं रोता
कह दो है वो, इतना है हर रात ,रोता ,
पता चल गया होता कबका जो ,तुमने चख लिया कहीं होता
शहर में आंसुओं का स्वाद , अब नमकीन नहीं होता
हर दरख्त की जड मिट्टी में होती है ,
हर पेड की मंज़िल आसमां हो बेशक ,
लकडी का कोई टुकडा बनने कुर्सी सियासत की ,
यकायक ही कभी नामचीन नहीं होता ,
शहर में आंसुओं का स्वाद , अब नमकीन नहीं होता
वो जो फ़र्क जानते हैं मान और अपमान का ,
वही तो चापलूसी बेइज़्ज़ती महसूस करते हैं ,
गरीब की बस रोटी ही इक आखिरी औकात है ,
भूखे का किसी दम भी तौहीन नहीं होता ..
शहर में आंसुओं का स्वाद , अब नमकीन नहीं होता
उसूलों कानूनों की एक फ़ौज़ है फ़िर भी ,
हादसों अपराधों के लिए हुआ मशहूर मेरा देश ,
है इक दस्तूर अब यहां बहुत मजबूत सा हो चला ,
काबिल वकील साथ में हो , जुर्म कोई सा भी हो ,संगीन नहीं होता
शहर में आंसुओं का स्वाद , अब नमकीन नहीं होता
खुली बंद हर जोडी आंखो को है , हुक्म कि सपना देखें ,
फ़िर ताउम्र उस सपने को पाने में , न वक्त बेवक्त अपना देखें ,
बेशक शहर भी सपने देखता होगा , मगर स्याह और सफ़ेद ही ,
इतनी चकाचौंध उजियारी रातों में , कोई सपना रंगीन नहीं होता
शहर में आंसुओं का स्वाद , अब नमकीन नहीं होता
प्रचार खिडकी
गुरुवार, 28 जून 2012
शहरों में आंसुओं का अब स्वाद नमकीन नहीं होता...
लेबल:
आंसुओं,
नमकीन,
बिखरे आखर,
हिंदी पंक्तियां
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
सोमवार, 18 जून 2012
ज़िंदगी के पन्नों पर ,बिखरे आखर .....
चित्र , गूगल इमेज खोज इंजन के परिणाम से , साभार |
ये न पूछ मुझसे कि ये आज मुझे हुआ क्या है ,
जो ज़िंदगी ही मर्ज़ है तो बता इसकी दवा क्या है
पत्थर के इस शहर में जाने हर ईंट क्यूं पराई है
धधक रहा है कुछ भीतर , किसने ये आग लगाई है
चल माना दस्तूर अदला बदली का है , द्स्तूर निभाया ही जाए जरूरी तो नहीं
जो देते रहे ताउम्र इस ज़िदगी को ,वही ज़िंदगी से पाया भी जाए जरूरी तो नहीं
कतरों और किश्तों में बंटी जिंदगी ,तकदीर, जो तेरी यही रज़ा है ,
जो जिंदगी आसान ही होती जाए , तो ये मौत भी बेमज़ा है ...
तू अब न मुझे डराया कर जिंदगी,बता क्या नहीं अब तक खोया हूं मैं ,
गीली आंखों को भी रोने दे ज़रा, बहुत हंसती आंखों से रोया हूं मैं
ज़िन्दगी , क्यूं तुझसे कोई शिकायत करूं , इक मुझसे ही तू खफ़ा तो नहीं ,
तेरी वफ़ा पर होते रहे शुबहे , मौत मेहबूबा ही कभी हुई बेवफ़ा तो नहीं
छूटा गांव , बिछडे अपने , पकडी जो , उस रेल को कोसता हूं मैं ,
जीतने की ज़िद थी जिंदगी के खेल की , उस खेल को कोसता हूं मैं ...
जिंदगी को बहुत अच्छे से महसूसता रहा , कि इस देश का अवाम हूं मैं ,
जो यूं करता हूं ज़िक्र जिंदगी मौत का , बस इसलिए कि आदमी आम हूं मैं
जिंदगी यूं न कटेगी , इसे जीने का पहले ,दस्तूर समझ लो ,
सज़ा कबूलने में आसानी होगी ,इक बार अपना कसूर समझ लो
मत रोक मुझे , मत टोक मुझे , आज तो जी की कहने दे ,
कब तलक मुस्कुराती रहेंगी आंखे , आज अश्कों को बहने दे
मुझे नाहक ही दर्द महसूस हुआ , ये शाम ही है कुछ उदास उदास ,
जिंदगी इर्द गिर्द थी होठों के आजकल बसेरा है उसका आंखों के आसपास
दिन काट लेते हैं तपिश में जलाते खुद को ,क्यूं ये रात अच्छी नहीं लगती ,
कैसे मिलने का वादा करूं तुमसे जब खुद से मुलाकात अच्छी नहीं लगती
मुहब्बत से झूठी कोई शै नहीं ,इश्क से बडा और कोई व्यापार नहीं
जिंदगी तो हमेशा से बेवफ़ा रही है , मौत भी अपना यार नहीं ....
हर बार मैं तुझसे मिला के आंखें , मुस्कुरा दूं , ऐसा कोई करार नहीं है ,
जो तुझे मेरी कद्र नहीं , तो जा जिंदगी , मुझे भी तुझसे अब प्यार नहीं है
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ज़िंदगी,
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एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
रविवार, 26 फ़रवरी 2012
सर्द हवा में जियरा कांपे ..इ फ़ागुन में जोगी कैसे गाएगा जोगीरा रे
दौडती हुई ट्रेन की खिडकी से , मोबाइल द्वारा खींची गई एक फ़ोटो |
छुट्टी का दिन , सुहाना मौसम , सो आन पडी इक दुविधा ,
कंप्यूटर तोडें खट खटाखट , या धूप में पढें कहानी कविता ..
अलसाई , अल्हड और चमकीली सी उग आई है भोर ,
फ़ागुन मास होवे मदमस्त ,किंतु इहां तो चले है चिल्ड हवा घनघोर
जेटली चचा बोले हैं , यूपीए सरकार भूल चुकी है,शासन करने की कला
अबे तो साइनिंग इंडिया से लेकर भारत निरमान तक , घंटा हुआ है भला ..
एनसीटीसी पर पीएम ,मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाएंगे ,
उस बैठकी में का कहना है , मेड्म्म से पूछ के बताएंगे ....
कम नहीं होंगे चुनाव आयोग के अधिकार : अईसा भरोसा दी है सरकार ,
ओहो अच्छा , बहुत अच्छे , अबे आखिर इत्ता काहे छलक रहा है आयोग पे प्यार ..
अबे जौन स्टेट के लिए ई लोग आयोग का मैय्यत निकाला हुआ है ,
ऊ इस्टेट का हेल्थ में ही , अरबों खरबों का घोटाला हुआ है ..
NDTV बता रहा है , काहे टीम इंडिया ,महापिरलय की झेल रहा है मार ,
अबे अभी वक्त है हॉकी का , बंद करो , ई साला रूटीन बकावास है यार
चैनल का सबसे बडा खबर , दोस्त बने धोनी आ सहवाग ,
बने काहे , अबे जब अच्छे हैं , तो थोडे और लगाओ दाग .....
मुलायम अत्याचारी , माया भ्रष्टाचारी : बोल दिए बाबा अमर ,
अब जाके इनको पता चला , जब बीत गई रे उमर ,...
सर्वोच्च न्यायालय :पुलिस की कार्वाई लोकतंत्र पर प्रहार ,
ई ऑर्डर के बाद , ऊ ऑर्डर का जिम्मा नहीं कोई लेने को तैयार ..
कांग्रेस नहीं तो यूपी में राष्ट्रपति शासन , कोयला मंतरी जी दे दिए बयान ,
सुना है महापिरलय के विशेषज्ञ इसे राग कोयलाबेरी का साईड इफ़्फ़ेक्ट रहे हैं मान ..
आरक्षण की मांग को लेकर 14 जगह ट्रैक जाम करेंगे जाट ,
अबे का पटरी से आरक्षण मिलेगा , काहे कर रहे हो पसिंजर की खडी खाट ..
अभी ठंडी नहीं हुई है कॉमनवेल्थ घोटाले की आंच ,
दिल्ली उपराज्यपाल के खिलाफ़ शुरू हुई सीबीआई की जांच
बीस मिनट में दु सौ खबरें , इंडिया टीभी दिखा रहा है ,
इस हिसाब से साठ मिनट में टोटल केतना का रेशियो आ रहा है ?
ई समाचार चैनलवा सब एकसकिलुसिव के चक्कर में का का करता है बेचारा,
आज के फ़ैसला पर रिपोर्टिंग करने ,रामलीला मैदान पहुंची आजतक पत्रकारा
एक ठो नेताजी दिन में बघार बघार के अपना चतुराई का राग का रहे थे ,
पडा जो सोटा पाछे से , कहे हम तो संविधान का प्रावधान बता रहे थे ...
NCTC पर ममता दीदी , घनघोर से, पुरज़ोर की हैं विरोध ,
Nहीं ,Cचलेगा Tरिनमूल Congग्रेस ,फ़ुल फ़ार्म बता दिया लोग
किरकेट में रोजिन्ना हार की खबर काहे बार बार दिखाते हो ,
हॉकी में आया फ़ार्म में भारत , अबे एक बार नहीं बताते हो ...
चुनाव आयोग नोटिस ले ले के आ भेज भेज के इत्ता बढा दिया दबाव ,
कानून मंतरी बोले ,होगा आचार संहिता उल्लंघन कानून में ही बदलाव ॥
शेषन बाबा ने दी थी आग्नेय दृष्टि , अब उ हो गया है भैंगा ,
रोजिन्ना देता आयोग नोटिस नया , नेताजी रोजे दिखाते ठेंगा ..
हम जीतेंगें , सरकार बनेंगे , सबके हैं अपने अपने दावे ,
कौन लाएगा काला धन वापस , कौन जनलोकपाल , हाय कोई नहीं बतावे
सहवाग के पीठ में दर्द कल नय खेलेंगे,बता रहा है टीभी वाला है भकलोल रे ,
अबे असली खबर ई है ,भारत दागा सिंगापुर के खिलाफ़ टोटल पंद्रह गोल रे
बिहार में शिक्षा व्यवस्था , बिल्कुल हो गई है ठीक ,
बस मा स्साब बनने की परीक्षा में पर्चा हो गया लीक ...
मौसम महीना आया बौराने का , कल से सुरताल में फ़कीरा गाएगा ,
रे फ़ागुन आ गया अंगना मोरे ,कल से जोगी फ़िर , जोगीरा गाएगा ...
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जोगीरा सारारारा,
दो पंक्तियां,
फ़ागुन,
बिखरे आखर,
होली
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
रविवार, 12 फ़रवरी 2012
झपकी भी नींद सरीखी लगती है .......
गूगल सर्च इंजन द्वारा लिया गया चित्र , साभार |
छोटी सी झपकी भी नींद बडी लगती है , हाय कि अब तो सपने भी नहीं आते ,
जिंदगी ने दायरा इतना कर दिया छोटा , अपने इस दायरे में कई अपने भी नहीं आते .
सुनो , जो अब भी न बोले तो , कल सोचेगा ये कि , आज क्यूं ,हम मौन हैं ,
लोकतंतर माने भारत है यदि , और जो हमारे हैं ये प्रतिनिधि तो फ़िर हम कौन हैं
तुम्हारे गीतों वो खुमारी कहां है , और बोलो में वो नशा कहां है ,
जाओ ये फ़ैसला तुम्हीं पर छोडा , बता दो , दर्द कहां और दवा कहां है ..
तुम देखना कोई न कोई यूं बयान ये भी कर जाएगा ,
अब कोई फ़ांसी नहीं होगी , आएगा जब महाप्रलय , कसाब खुद मर जाएगा
इस देस का लोकतंतर , ससुरा हो गया रंगीला ,
माननीय लोग सदन में देख रहे सिलेमा नीला
जल की कमी पर सरकार ने चेताया ,
आ टोटल नदी सबको कूडाघर बनाया
ये जो अब रातों को नींद नहीं आती ,कसूर ये सारा हालात का है ,
आधा दिन कटता नौकरी आधा चाकरी में , वक्त अपने पास बस रात का
यूं न समझना कि रातों में भी हम खामोश बैठे हैं ,
चेत जाएं वो , जो हमारे से होकर भी कुछ ज्यादा ऐठे हैं
खुर्शीद बाबू चुनाव आयोग के दोषी दिए गए करार ,
इलेकसन का मौसम है , अबे समझा करो कुछ यार ....
दिल्ली में ठंड ने पिछले तीस साल का रिकॉर्ड तोडा ,
चल तू भी जोर आजमा , गरीब को हाय , किसी ने न छोडा ..
प्रनब दादा बोले हैं , अभी मुश्किलों से पूरी तरह बाहर नहीं हुआ है देस ,
एकदम्मे ठीक , विश्व के नक्शे से ही बाहर कर दो ,इत्ते लगाओ इसको ठेस
राहुल पीएम पद के लिए नहीं हैं लालायित, पिरयंका गांधी फ़रमाई हैं ,
आयं , अबे तो फ़िर काहे के लिए , फ़ुल फ़ैमिली विद मम्मी मैदान में आई हैं ,
चलते चलते एक खुशखबरी भी दे दें आपको
दो दीवाने शहर में , ढूंढते थे एक आशियाना ,
बसेरा हो गया आखिर ,मिल गया अपना ठिकाना
मुद्दतों बाद जाकर , हम भी एक स्थाई पते वाले हो गए जी ........
और फ़िर हाल कुछ ऐसा हुआ कि ,
पिछले एक हफ़्ते से घर को बसाने सजाने में गज्ज्ब बैंड बजा है ,
मगर सच मानिए , अपने घर में खटने खटाने का अपना ही मजा है ,
और हम ले भी रहे हैं भरपूर ..आहिस्ता आहिस्ता
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दो पंक्तियां,
बिखरे आखर,
रद्दी की टोकरी
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012
बेबाक , बिंदास , बेलौस ,बेसाख्ता सी कुछ बातें ......
बिखरे आखर
ट्विटर सेंसर को तैयार , गूगल ने किया इनकार ,
उपयोग दुन्नो का अईसा करें , रहे टेंसन में सरकार
मेरे इर्द गिर्द रहकर , तुम जो यूं , अपना ये वक्त बर्बाद करोगे ,
मुहब्बत हो जाएगी मुझसे , मेरे जाने के बाद ,बहुत याद करोगे
छन्नो मलिक भी स्वयंवर रचाने को हो गईं तैयार ,
रखिया ,ललिया के बाद , देखिए ई किनका फ़ोडेंगी कपार ...
टेस्ट में भारत की शर्मनाक हार हो गई तय ,
ले बिल्लैया , अबे अब बचा का है रे , अब काहे का भय
महासचिव राहुल : भ्रष्टाचारी कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा ,
महापालटी कहती है , खबरदार ,जो लूट के नहीं कमाएगा ...
शहरों में , सालाना बढ रहा है डेंगू का पिरकोप ,
उधर मच्छर लगा रहे हैं मोर्टीन में मिलावट का आरोप ...
भारत को चाहिए युवा नेता ,पिरधान जी फ़रमाए हैं,
इसीलिए पालटी वाले , पैंतालीस का कुंवारा अजोध युवा लाए हैं ...
चुनाव आयोग :रिश्वतखोरी के खिलाफ़ अध्यादेश लाए सरकार ,
हायं , ई चुनाव आयोग के मन में आ रहे हैं कैसे कैसे विचार ...
राजनीति से संन्यास लेने पर विचार कर रहे हैं शरद पवार ,
बिल्कुल ठीक , किरकेट टीम लडे चुनाव , सरद जी अब किरकेट खेलें यार
टेनिस में गौरवान्वित हुए और किरकेट से हुए शर्मसार ,
खेल खेल में फ़ेल हुआ , खेल बना व्यापार , रे देख तेल की धार
दौर हम ये भी देख लेंगे , कि जब कितने ही दौर देख लिए ,
वो सितम पे सितम ढाती रही ज़िंदगी , हमने सितम और , कुछ और देख लिए
अबे कहां हो कोसने वालों , मचाओ स्यापा कि , मुद्दे कुछ दफ़न हो गए ,
जो अब भी सोना ही चाहते हो तो तान लो चादर , जगाने के तुमको बहुत अब जतन हो गए ...
बहुत मुश्किलों से भी हो कभी तो उस काम में मजा आता है ,
बहुत खूब बजता है अब भी जब ईमानदारी का कोई हथौडा बजाता है .....
वो इस कदर आश्वस्त हैं इस बारे में कि ,कभी कुछ नहीं बदलेगा ,
जो न बदला तो मिट जाएगा , या अभी बदलेगा या फ़िर नहीं बदलेगा ..
वसंत ने फ़िर दस्तक दी , हवाओं ने भी मिज़ाज़ बदला है ,
हम भी सोच रहे थे ये मन बौराहा ,यूं बेवजह नहीं मचला है ......
दुनिया और दुनियादारी , बेशक , हम दोनों के लिए खराब हो गए ,
कमबख्त, इतना बिखरे रहे, आखरों के बीच कि किताब हो गए
माया के करीबी हैं पॉन्टी , मॉल के बेसमेंट में मिली तिजोरी ,
अबे टोटल हथिया का पेट खोल के देखो ,मिलेगा वहां भी नोट का बोरी ...
भ्रष्टाचार के प्रति उच्च न्यायालय का रुख हो रहा है बेहद सख्त ,
भ्रष्टाचार के विरूद्ध विधायिका ,कानून बना के पस्त ,कार्यपालिका कर कर के मस्त ..
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बिखरे आखर
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
गुरुवार, 26 जनवरी 2012
आसमान में पत्थर रोज़ उछाला करते हैं
गूगल चित्र खोज इंजन से , साभार
कुछ नय हो सकता है , कह कह के , कई लोग उम्मीद की मैय्यत निकाला करते हैं
छेद डालेंगे आसमान , रोज़ इसी विश्वास से , हम पत्थर उछाला करते हैं......
देखिए जी ,इस तरह जो जूतों के इस्तेमाल में आप चेंज़ लाएंगे ,
बहुत जल्दीए , फ़ेयर एंड लभली वाले भी जूतों की नई रेंज़ लाएंगे ..
नोएडा के रिहायशी इलाकों में कल से सीलींग की हो गई तैयारी ,
काहे बे , तुम लोक हाथी को ठीक से नहीं खिलाए , अबकी बारी
महामहिम का संदेस है , लोकतंत्र का पेड गिर जाए, इत्ता न हिसाएं ,
तो क्या करेंगे इस पेड का , सारे फ़ल इसपे जब ज़हरीले ही आएं ???
जितना लूटा और खसोटा , वापस अब सारा माल करो ,
खून चूस कर जिनका , लाल किए बैठे हो , अब उसीके हवाले अपने गाल करो ...
सियासत मगरूर ,सियासत बेलगाम , और सियासत बदनाम हुई जाती है ,
ज़रा सा जो जाग गई जनता जब से ,सियासत की नींद हराम हुई जाती है
राजनाथ सिंह के पुत्र को महामंत्री बनाने पर बवाल ,
कौन कर रहा है बे , अबे जब सब पोलटिसयन का है यही हाल ...
बसों की खरीद में ,61 करोड का हुआ वारा न्यारा ,
अमां लगे हाथ ये भी बता दे , किसने कितना हाथ मारा ...
जाने कि ये मुहब्बत है या कुछ और , रोज़ कीमत अदा कर रहे हैं ,
हालात कुछ यूं हैं कि , खुशियां और गम ,दोनों से वफ़ा कर रहे हैं .
जहां बनते हैं रोज़ कानून , अपराध की गुंज़ाईश वहीं रहती है ज़्यादा ,
शह हो या मात हो ,ताज्जुब नहीं कि इस खेल में अक्सर मरता है प्यादा
चहुंओर सों चलत पादुका , घनन ,घनन केकर जियरा देखो कांपे रे,
बहुत दबायो , तुमही उकसायो , जो बोया तुम आपनो , काट वही अब आपे रे ..
एक्सप्रेस वे से चोरों ने लाखों की रेलिंग चुराई ,
का करें कि ,सरकार खुदे ई हुनर है सिखाई ...
बडी करारी ई ,जनता जो खोल ले , आपन नैन , दिमाग ,
चिंगारी में लगे जो फ़ूंका , सियासत जल जाए इस आग ....
घोटाले के आरोपी ने खुद को गोली से उडाया ,
हाय , सब घोटालेबाजों को ई आइडिया काहे नहीं आया ...
अमां सुना है कि रेलों में फ़िर से बढने वाला है किराया ,
वो तो ठीक है , लेकिन ई तो बताओ ,एक्सीडेंट को भी बढाओगे न भाया ..
अबे ई का घनघोर शिश्टम निकाले हो , आ कि बहुत हो गिया पैसा का तंगी है
मुन्नी , सीला , जिलेबी , चमेली , छन्नो , यार ये फ़ेहरिस्त तो बहुत लंबी है .....
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दो पंक्तियां,
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रद्दी की टोकरी
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
मंगलवार, 17 जनवरी 2012
सिर्फ़ दो पंक्तियां
खाक कर देती है सियासत को , जब अवाम ,एक बार इस पर आमादा होती है ,
तुम्हें यकीन हो न हो , जाम में पैदल आदमी की रफ़्तार सबसे ज़ियादा होती है
मैं आम आदमी हूं , हर जगह नज़र आऊंगा ,
खबरदार सियासत , अब मैं भी उधर आऊंगा
मशीन से हो गए हैं , अब क्यूं ये जीवन ,जीवन सा नहीं लगता
जब से टूटे मिट्टी के झोंपडे , गांव का आंगन भी , आंगन सा नहीं लगता
एक दोस्त पूछते हैं अक्सर , अमां तुम्हारे लिखने का ,कहीं कुछ है भी असर ,
हा हा हा हा अबे क्या तुम्हें अब बताएं , सियासत तक की लगी है , यहीं पर नज़र
ऑस्ट्रेलिया ने भारत को एक पारी और 37 रन से हराया ,
अबे यहीं खेला करो , और जीतो हमेसा , कित्ता था समझाया .
सियासतदानों ,तुम महफ़ूज़ थे अब तलक , क्योंकि हर बार तुम्हें हमने माफ़ किया ,
चलो अब आज़माते हैं ज़ोर अपना अपना , कहना जो अबकि नहीं तुम्हारा पत्ता साफ़ किया ..
तिलमिलाओ , और बौखलाओ इतना कि , सियासत को भी कुचल डालो ,
हम नहीं रुकने वाले ,इसलिए ,नहीं बदेगा कुछ ,वाली मानसिकता को बदल डालो ..
बदल डालो वो सारे कानून , जो उन्हें आम से खास कर देते हैं ,
चलो बनाओ जनता का कानून , सब मिल के इसे पास कर देते हैं
मैं जानता हूं तुम समझते हो ,हम जनता हैं ,हमें भूलने की बीमारी है,
सुलगेंगे तो खाक कर देंगे तुम्हारी सल्तनत , हम राख में छुपी चिंगारी हैं
बदरा के ओटवा से ताके रे सुरुजवा ,सर सर चले रे हवा जान मारे रे ,
लठिया जो देखे , हाथ ,जनता जनार्दन ,नेतवा के कईसे देखो प्राण कांपे रे
कालाधन का इस्तेमाल रोकने को आयोग कटिबद्ध है ,
और काले धन के इस्तेमाल को , हर दल प्रतिबद्ध है ......
तुम ये बता दो बस ,तुम सबके चोले , सबके माने सबके , इतने दागी क्यों हैं ,
तुम तलाशो जवाब पहले ,फ़िर हम भी बता देंगे , तेवर हमारे ये ,बागी क्यों हैं .
अभी पढी एक हकीकत ,चलिए लगे हाथ आपको भी ,ये बता देते हैं ,
आबादी नहीं है कई देशों की उतनी , जितने लोग अपने देश में सडकों पे जान गवां देते हैं
जब भी छाए उदासी या मायूस होने लगो ,यादों को टटोल लेना ,
मुस्कुराहटों , सपनों , की पोटलियों को धीरे से खोल देना .....
आज की खबर है कि पाक में तख्ता पलट की आशंका ,
लो बहुत हो गया पिरजातंत्र का नाटक , शुरू फ़ौज का हो गया टंटा
इतनी बेकरारी सनम अच्छी नहीं , अभी तो अंगडाई ली है ,
जरा सो तो लें पलक भर , फ़िर बताएंगे सपने में जिंदगी कैसी दिखाई दी है ......
राहुल खोलेंगे विधानसभा चुनाव में ,नसीमुद्दीन के भ्रष्टाचार की पोल ,
ए बेटा , ऊ सब तो ठीक हऊ , कभी कुछ कांग्रेसिया घोटाला पर भी बोल .....
परदा है ,परदा है ,परदा है परदा ,पर्दे के पीछे हाथी खडा है ,
देखो रे चुनाव की माया , हाथी खडा है ,मगर तिरपाल में पडा है
अबे हेलमेट पहन के रहा करो ,ये चेहरों पे कालिख मलने का दौर है ,
खुद कोलतार लिए खडी है सियासत , तुम समझते हो कोई और है ....
कंगारुआ सब धो धो के, पिच पर रहा है सबको पटक ,
अबे अब नय बोल रहे हो , अब लगेगा महाशतक ....
हुर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्र ..भक्क भक्क भक्क
चुनाव में काले धन पर सतर्कता, जांच एजेसिंयों की पैनी नज़र ,
चल्ल बे , स्विस का खाता दिखता नहीं , काहे तब होती , भैंगी नज़र
चलो देखते हैं कि इस बार अपने नज़रबट्टू से इन बज़रबट्टू को कैसे धरते हो
लेबल:
दिल की बात,
दो पंक्तियां,
फ़ेसबुक स्टेटस,
बिखरे आखर
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
गुरुवार, 12 जनवरी 2012
वही ,कुछ कही ,कुछ अनकही ....
शाहनवाज़ भाई के कैमरे से एक ठो नयका पोज़ टराई मारते हम |
संडे सन्नाट है ,धूप ने भी आहिस्ते से किवाड खोला है
कुर्सी टिका के बैठे हैं , अखबार हाथ में , देखते हैं कौन नेतबा आज का बोला है
अबे इस सरकारी फ़रमान का मतलब ,ज़रा हमको भी समझाओ ,
ठंड से मरता बिसेसरा , मुदा हथिनिया के मूरुतिया को कंबल ओढाओ
बिगबास के संग खतम हुआ , एकदम्मे बकवास टंटा था जो यार ,
सुमितवा तोरा का होगा अब रे , एक करोड का अटैची के संग बापस आ गई जूही परमार
दाखिले की उम्र को लेकर असमंजस बरकरार,
किलियर कर लो ,बचवा सब तो बोझा ढोने को हैं ,कब्बे से तैयार ,
खुदरा खुदरी का जमाना गया ,तिहाड में नेतवन सब पहुंचे रेट, होलसेल ,
नहीं चला कोमा का बहाना , नरेटी पकड के कोरट ने , सुखराम को भेजा जेल
भंवरी देवी कांड ने फ़िर से ,पुख्ता की ये बात ,
उजाले में पूजी जाए देवी , मर जाए हर रात
अबे ई तो बिल्कुल पार्शियल्टी है ,कांग्रेसवा के साथ ,
काहे नहीं कहा आयोग , दास्ताने से ढक दो , हर आदमी का हाथ
उन दिनों जब तुमसे गुफ़्तगू नहीं होती , मन बडा भारी सा रहता है,
और जाने क्यों ,कुछ अंतराल पर , ये सिलसिला भी ज़ारी सा रहता है
चुनाव आयोग ने एक और हथौडा ,धर के दिया रे ठोक,
अल्पसंख्यक आरक्षण पर पांच राज्यों में लग गई भईया रोक ,
चाऊमीन ,पिज़्ज़ा तो कभी बर्गर कभी गर्मागर्म कुकुर,हॉट डॉग जी , हुआ जा रहा देस ,
आज डंटा चला फ़िर कोरट का ,जंक फ़ूड पर छ महीना में बनाया जाए दिशा निर्देस
हथिनी और हथिनीवती ,दुन्नो पर डाला गया तिरपाल ,
देख सियासत करे जब राजनीति , चले कैसे कैसे चाल
लेबल:
आम आदमी,
दो पंक्तियां,
फ़ेसबुक,
बिखरे आखर,
स्टेटस
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
शुक्रवार, 6 जनवरी 2012
कुछ बेसाख्ता, बेलौस सा.........
एक रेल यात्रा के दौरान मोबाइल से लिया गया फ़ोटो |
इस बार सियासत को इतना बदहवास करो ,
बहुत किया एतबार उनपर , बस खुद पर विश्वास करो ....
एक एक ,आम आदमी का कद ,सियासत से अब , बडा कीजीए ,
गुम हो जाएं भीड में ये मुट्ठी भर ,हर घर से एक नेता खडा कीजीए
अमां ट्रेजडी ये नहीं कि देस का पोलटिस हुआ बेकार ,
अबे ट्रेजडी ये है ,अपोजीसन-गोरमेंट , दुन्नो बोका निकला यार
तो इस बार पिरजातंत्र का एक नया पिरयोग करिए ,
चुनिए नया चेहरा ,और यही सब लोग करिए
नेताजी तैयार खडे हैं ,लेकर नयका डिरामा ,
अबकि जनता बनी जनार्दन , मच गया हंगामा ,
फ़िर न कहिएगा कि बताया नहीं , यही सही फ़ैसले का बखत है ,
बेशक ये नो हो अंदाज़ा आपको ,मगर हमसे ही ये उनका ताज़ो तखत है
अबे इस देस में एक ठो अजबे रिवाज़ बना रक्खा है ,
हर कातिल को बचाने को , किसी न किसी ने कांख में कानून का किताब दबा रक्खा है ..
मुझे उकसाओ मत, बगावत जो मैं कर बैठा ,
जिंदा रहा तो कयामत ,मिट जाओगे जो मर बैठा
अबे इस दिल्ली का हाल तुम्हें , और क्या बताएं ,
कोहरा है , कंपकंपी भी , पिलस में सर्द हवाएं ....
कलम उनकी कातिल है ,हम रोज़ मरते हैं ,
वो रोज़ लिखते हैं ,हम रोज़ पढते हैं॥
ई देस में कुछ लोगन को नहीं है दुसरा काम ,
ल्यो अब रखो तेंदुलकर चौक , चांदनी चौक का नाम
अडवानी जी कहे हैं , भाजपा से जलती है कांग्रेस ,
अरे रहे दीजीए बबा हो ,दुन्नो कलाकार से त्रस्त है देस ...
रिजफ़्फ़ श्रेणी का पचास हज़ार भेकेन्सी को भरा जाएगा ,
इस घनघोर घोसना को इलेक्सन में कैश करा जाएगा ..
ममता ने कांग्रेस को कोसा ,अबे काहे दीदी बुरा मान गईं ,
उडी बाबा आब किया होगा , विरोध का छातरी तान गईं .
विज्ञान में चीन हमसे आगे , पिरधान जी बोलें हैं, शोध में खर्चा बढाओ ,
अबे हुर्र , आप तो इकोनोमिक्स ही सुधार लो पापे , फ़ालतू न बतियाओ ....
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दो पंक्तियां,
बिखरे आखर
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
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