![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg7Rn6mSyrMsYIF4T8aagWvcCrCS8z_lEykK0MQCrEBySjBICbVATQ73b3kQNj51RtJ_GZ5l3R1IWYHbhdPIDsoehnwyUZToL5nP0wmhTa5XoVGtlWInBmAQVfIKIg9AybenkjzlY6froRs/s400/IMG0205A.jpg)
अपने हालिया ग्राम प्रवास के दौरान इस बार मन में एक उत्सुकता थी कि इधर कुछ समय से बिहार में विकास की बहती बयार की खूब चर्चा हो रही थी ।सच कहूं तो अपने होशो हवास में पहली बार इतने बडे पैमाने पर यातायात के क्षेत्र में निर्माण होते देख मैं इतराया भी खूब ।हालांकि मेरी इतराहट जब यथार्थ के नुकीले पत्थरों से टकराई तो पूछिए मत (इसका पूरा जिक्र तो मैं अपने दूसरे ब्लोग कुछ भी कभी भी , में तफ़सील से करूंगा ) मगर जब लंबी चिकनी सडकों को देख कर मैं इतरा रहा था , तभी मेरा मोबाईल कैमरा जैसे मुझ से बगावत करके पता नहीं कौन सा सच ढूंढ रहा था । आप तस्वीर देखिए और बताईये कि क्या मेरी दुविधा वाकई ठीक है .............??
क्या मोबाईल कैमरे ने मुझ से कुछ अलग देखा ..........?????