एक ही निगाह में ,वो सब बता गया
दर्द का पूछा तो ,मज़हब बता गया
अंदाज़ा मुझे भी इंकार का ही था
यक़ीन हुआ नाम गलत जब बता गया
हाथ मिलाया तो नज़रें जेब पर थीं
यार मिलने का यूं सबब बता गया
लूटता रहा गरीबों को ताउम्र जो
पूछने पर ख़ुद को साहब बता गया
वादे कमाल के किये उसने ,मुकरा तो
कभी उन्हें अदा ,कभी करतब बता गया
बता देता राज़ तो तमाशा ही न होता
खेल ख़त्म हुआ ,वो तब बता गया