मां तेरे जाने के बाद ,
मुझे "मां "कहना भी ,
क्यों अजीब लगता है ?
जैसे ही,
करते हैं कोशिश ,
ये होंठ ,
एक कतरा आसूं का ,
बैठा आखों के करीब लगता है ॥॥
मां ,अब जाता हूं ,
जो घर कभी ,
मुझे मालूम है कि ,
अब मुझे,
हर स्टेशन से फ़ोन करके ,
ये नहीं बताना पडता कि ,
मैं पहुंचा कहां हूं ,
मुझे पता है कि ,
घर पर अब ,
सबको ये मालूम है कि ,
खाना तो मैं ,
सफ़र में ही खा लूंगा ,
और कोई मेरा ,
अब देर रात तक इंतज़ार नहीं करता ॥॥
मां , तेरे जाने के बाद ,
अक्सर ही ,
मुझे अकले बैठे पिताजी ,
याद दिलाते हैं कि ,
कौन सी ,वो जगह थी ,
जो खाली हो गई है ॥
मां , देख न तू ,
हुई कितनी निर्मोही ,
छोड गई ढेर सारे ,
भगवान मेरे लिए ,
मगर एक अकेली ,
तू ही नहीं रही,पास मेरे ॥॥
मां , अब तो मुझे ,
उम्र ये बहुत भारी लगती है ,
अब तो मुझे फ़िर से ,
इक अगले जनम
का इंतज़ार है ...
मां मिलेगी न
अगले जनम भी .
मां बनके .......मिलेगी न ......मिलेगी न ...????????