प्रचार खिडकी
बुधवार, 31 अगस्त 2011
रांची एक्सप्रेस , रांची में प्रकाशित एक आलेख
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एक प्रकाशित आलेख
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
सोमवार, 22 अगस्त 2011
आदमी सियासत को चुभे तेज़ाब की तरह ......
देखिए हर मस्तक तना , हर छाती पे गर्व है , हां उनसे कह दो , जनता मनाती आजादी का पर्व है |
फ़ैला दो इस आग को शोलों के सैलाब की तरह ,
कि एक एक आदमी सियासत को चुभे तेज़ाब की तरह ॥
मन में है चोर और नीयत बेइमान , तो जनता के बीच फ़िर जाएं कैसे ,
उफ़्फ़ ये तो इंतहा है उनकी मजबूरी की, घर में भी टीवी चलाएं कैसे .
उतर आए जो बगावत पे , कहो क्या सिर्फ़ हमारी खता है ,
क्या करें , कि लोगों को अब तुम्हारी फ़ितरत का पता है
बनके बारूद ज़र्रे ज़रे पे ,
बिखर जाओ दोस्तों ,
जो रखना है महफ़ूज़ घर को ,
अब सडकों पे उतर आओ दोस्तों ,
बढाओ आकार और आवाज़ इतनी ,
कि सत्ता जो मूंद भी ले आखें ,
तो भी उसे , तुम नज़र आओ दोस्तों ॥
सियासतदानों , क्या अब भी कोई ,
दुविधा है , या मन में कोई भ्रांति है ।
जाग गई और जान गई ये जनता ,
हर सीने में बगावत , हर सडक पे क्रांति है ॥
संसद सर्वोच्च है , सत्ता है मगरूर ,
तभी , दोनों मान रहे , जनता को मजबूर ,
शुक्र मनाओ सियासतदानों , लोग नहीं हुए हैं क्रूर ,
करने को तो पल भर में कर दें ,नशा तेरा काफ़ूर ॥
सत्ता तेरी कुर्सी का हर पाया हुआ निकम्मा ,
तू एक से परेशान थी , अब तो सारा देश ही अन्ना ॥
बताओ तो कहां हो मंत्री जी , कहां तुम्हारी कार खडी है ,
घर से लेकर सडक तक , लेके अपने सवाल, जनता तैयार खडी है ...
कांग्रेसी भौंकें , बारी बारी , दिग्गी सिब्बल फ़िर तिवारी ,
रे कौन कुकुर काटा था सबको , हो गई बस एक्के बीमारी .................
तुम्हें जनलोकपाल से ऐतराज़ क्या है ,
इतना क्यों डर गए ,ये राज़ क्या है ,
जानते हैं कि परेशान हो गए हो सोच कर,
सोई हुई जनता को हुआ आज क्या है .............
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