मुहब्बत कर न सको तो , नफ़रत की ही ,
कम से कम ,इंतहा तो दिखाओ यारों ,॥
कर देना पैवस्त खंजर ,मेरी पीठ पर ही सही,
चलो इसी बहाने इक बार ,गले तो लगाओ यारों ,॥
मैं समझ लूंगा तुमको, आईना , या अपने जैसा ,
फ़ितरत छुपाने को, कोई ,नकाब तो लगाओ यारों ,॥
माना कि चलना मुझे नहीं आता ,गिरता हूं संभलता हूं अक्सर,
मगर मुझे गिराने को , यूं ,खुद को तो न गिराओ यारों ,॥
कितना ज़ाया किया , मुझे सोच कर कर वक्त -बेवक्त तुमने अपना ,
थोडा सा तो अपने साथ , खुद के लिए भी वक्त बिताओ यारों ॥
सुना है कि ,उन रास्तों की मंजिल नहीं है , फ़िक्र होती है ,
कहीं इतनी दूर न निकल जाओ,कि लौट के आ न पाओ यारों ॥
कम से कम ,इंतहा तो दिखाओ यारों ,॥
कर देना पैवस्त खंजर ,मेरी पीठ पर ही सही,
चलो इसी बहाने इक बार ,गले तो लगाओ यारों ,॥
मैं समझ लूंगा तुमको, आईना , या अपने जैसा ,
फ़ितरत छुपाने को, कोई ,नकाब तो लगाओ यारों ,॥
माना कि चलना मुझे नहीं आता ,गिरता हूं संभलता हूं अक्सर,
मगर मुझे गिराने को , यूं ,खुद को तो न गिराओ यारों ,॥
कितना ज़ाया किया , मुझे सोच कर कर वक्त -बेवक्त तुमने अपना ,
थोडा सा तो अपने साथ , खुद के लिए भी वक्त बिताओ यारों ॥
सुना है कि ,उन रास्तों की मंजिल नहीं है , फ़िक्र होती है ,
कहीं इतनी दूर न निकल जाओ,कि लौट के आ न पाओ यारों ॥