मेरी मां |
माँ , तेरी गोद मुझे,
मेरे अनमोल,
होने का,
एहसास कराती है॥
माँ, तेरी हिम्मत,
मुझको,
जग जीतने का,
विश्वास दिलाती है॥
माँ, तेरी सीख,
मुझे ,
आदमी से,
इंसान बनाती है॥
माँ, तेरी डाँट,
मुझे, नित नयी,
राह दिखाती है॥
माँ, तेरी सूरत,
मुझे मेरी,
पहचान बताती है॥
माँ, तेरी पूजा,
मेरा, हर,
पाप मिटाती है॥
माँ तेरी लोरी,
अब भी, मीठी ,
नींद सुलाती है॥
माँ , तेरी याद,
मुझे,
बहुत रुलाती है॥
ये पंक्तियां तब लिखी थी जब मां मेरे पास थी , मेरे साथ थी .........जाने आज क्यों बार बार मां की बहुत याद आई , और मैं बाहर निकल कर तारों में उन्हें ढूंढता रहा ..........