जब भी ग्राम प्रवास पर निकलता हूं तो मेरी सबसे बडी कोशिश ये होती है कि पत्थरों के इन जंगल से निकल कर प्रकृति के करीब से होकर गुजरती जिंदगी के एक एक लम्हे को यादों में कैद करके सहेज़ लिया जाए , क्या पता कल होकर जिंदगी रहे न रहे , ये प्रकृति वैसी रहे न रहे ..यादें तो हमेशा ही शाश्वत रहती हैं , इन्हें यहां सहेज़ने के पीछे यही एकमात्र उद्देश्य है और हां फ़ोटो खींचने में आनंद तो आता ही है , आप भी देखें कुछ फ़ोटो ...........
प्रचार खिडकी
शनिवार, 22 फ़रवरी 2014
आत्मा और आंखों को तृप्त करती ग्राम्य झलकियां ......
जब भी ग्राम प्रवास पर निकलता हूं तो मेरी सबसे बडी कोशिश ये होती है कि पत्थरों के इन जंगल से निकल कर प्रकृति के करीब से होकर गुजरती जिंदगी के एक एक लम्हे को यादों में कैद करके सहेज़ लिया जाए , क्या पता कल होकर जिंदगी रहे न रहे , ये प्रकृति वैसी रहे न रहे ..यादें तो हमेशा ही शाश्वत रहती हैं , इन्हें यहां सहेज़ने के पीछे यही एकमात्र उद्देश्य है और हां फ़ोटो खींचने में आनंद तो आता ही है , आप भी देखें कुछ फ़ोटो ...........
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एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
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