आजकल दिल्ली का मौसम अफ़लातून हुआ जा रहा है , यूं तो "दिल्ली मेरी जान".की तर्ज़ पे यहीं उत्ता मसाला तो तकरीबन रोज़ ही फ़ैला या फ़ैलाया जाता रहता है कि शाम को टेलिविजन पर बकर काटने के लिए बैठे तमाम तबेलेनुमा टीवी महाबहस में सबको कुछ न कुछ जुगाली के लिए तो मिल ही जाना चाहिए , और मिल भी जाता है । फ़िर ठीक चुनावों से पहले तो टीवी चैनलों में उस तरह की तैयारी की जाती है जैसे मेले से ठीक पहले कल्लन हलवाई अपनी कडाई कडछी के पेंच कस के मजबूत कर लिया करते थे ताकि जलेबी निकालने में तनिक भी स्पीड कम न हो । और स्पीड देखिए टीवी वालों ने तो बाइस मिनट में दो सौ बाइस जलेबियां , मेरा मतलब खबरें ठोंक के कल्लन हलवाई को भी काम्प्लैक्स दे डाला है
मगर सिर्फ़ चुनाव का ही झंझट नहीं है न जी कि सिर्फ़ कोरी कोरी भौं भसड चीखने चिचियाने का ही टैंशन है , टैंशन तो इस बात का भी है न वसंत पंचमी के ठीक थोडे दिन बाद और होली के बौराए हुए मौसम से ठीक थोडा पहले एक नएं सैंटा जी नो प्रेम संदेश घर घर पहुंचाया था उसे अब बराबर से सीरीयसली लिया जा रहा है । जन्नेशन भौतई सीरीयस है, प्रेम के नाम पर ,.भौत बडा व्यापार चल निकला है , और फ़िर व्यापार चले भी क्यों न जब प्यार भी कित्ता तो चल निकला है ,चलाउ प्यार बहुत ज्यादा चलता है समझिए कि चलता ही जाता है , खैर ।
तो गोया किस्सा ये कि इस महाघनघोर राजनैतिक चुनाव की चभड चभड में , वो तो भला हो सैंट वेलेन्टाईन की अब तक हमें कतई भी मालूम नहीं उन सारे प्रयासों कि अब तो हर बरस बस्स भौत सारे इसी दिन मर मिटने को आतुर पाए जाते हैं । और उससे ज्यादा भला हो व्हाट्स अप्प का कि जिसने इत्ती सुविधा भी दे रखी है अलग से कि अगला या अगली एक ग्रुप अपनी सखा/सहेलियों का बना एक ही बार उसके बिना जीने मरने की कसम खा के सभी कतारबद्धों को एक ही टीप में एक ही दिल की एक ही बात बता देता/देती है ।
इस्सक उस्सक की बात चली है तो अपनी राजनीति भी कम इस्सकबाज़ नहीं रही है , कभी भी आमने सामने आकर पार्टियां एक दूसरे को बेवफ़ाई वाली सारी भावनाएं ...गद्द रूप में प्रस्तुत कर लेती देती हैं , अब कौन भला गा बजा कर कोसता गलियाता है । मगर बक्सा खुलते ही , पार पाए हुओं में जाने कहां से अपरंपार प्यार उमड जाता है कि बस सब फ़ट्ट से अपनी अपनी कुर्सी , बंगले का माप तैयार करने में लग जाते हैं ....ऐसी ऐसी संभावनाएं तलाशी जाती हैं जो खुद संभावना सेठ भी बिग बॉस में बकर करने के लिए नहीं तलाश पा सकी थीं
अभी कई किस्से है ..सुनाते रहेंगे किश्तों में ............