प्रचार खिडकी

रविवार, 27 अप्रैल 2008

ब्लोग्गिंग की चर्चा अब रेडियो पर भी

यूं तो ये बात मैं तभी लिखना चाहता था जब मैंने रेडियो पर पहली बार एक कार्यक्रम में ब्लोग्गिंग की चर्चा, वो भी विशेषकर हिन्दी ब्लोग्गिंग की , सूनी थी। किंतु पिछले दिनों फ़िर विभिन्न रेडियो सेवाओं , (विदेशी हिन्दी सेवाओं में जब एक बार फ़िर हिन्दी ब्लोग्गिंग की चर्चा, इसका मौजूदा स्वरूप, इसका भविष्य, आदि पर विस्तृत चर्चा सूनी तो सोचा की आप लोगों को भी ये बात बताओं।

अभी पिछले दिनों रेडियो जापान और रेडियो जर्मनी की हिन्दी सेवाओं में ब्लोग्गिंग के बढ़ते चलन , फ़िर हिन्दी में हो रही ब्लोग्गिंग, हमारे मुख्य अग्ग्रीगातोर्स की बातें, उनमें आ रही सामग्री की चर्चा विस्तारपूर्वक की गयी॥ एक सबसे बड़े कमाल की बात तो ये रही की कार्यक्रम में हमारे कुछ वरिस्थ हिन्दी साहित्यकार और हमारे ब्लोग्गेर्स जी हाँ बिल्कुल सही हमारे ब्लॉगर अविनाश जी (मोहल्ले वाले ) भी शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान जब रेडियो जर्मनी के प्रस्तोता ने अविनाश जी और वरिस्थ साहित्यकार श्री विष्णु खरे जी से ब्लोग्गिंग ख़ास कर हिन्दी में हो रही ब्लोग्गिंग की बाबत पूछा तो जैसा की अपेक्षित था, विष्णु जी ने जहाँ ब्लोग्गिंग में आ रही सामग्री, लेख, कहानी, कविताओं आदि के बारे में कहा की वे इससे संतुष्ट नहीं हैं और उन्हें लगता है की इससे भाषा और साहित्य , दोनों को नुकसान भी पहुँच सकता है, फ़िर वे सबसे ज्यादा खफा इस बात से दिखे की जब कोई कुछ लिख रहा और ये जानते हुए लिख रहा की की उसे हजारों लोग पढने वाले हैं तो फ़िर चाहे किसी भी वजह से अपनी पहचान छुपाने का क्या मतलब।

दूसरी तरफ़ अपने अविनाश जी और एक और ब्लॉगर महोदय जिनका नाम अभी मुझे याद नहीं , उन्होंने हिन्दी ब्लोग्गिंग की खूब तारीफ की , उसे खूब सराहा। आने वाले समय में लेखकों , पाठकों की संख्या के हिसाब से और न सिर्फ़ गिनती के हिसाब से बल्कि , उन्होंने माना की आने वाले समय में बाज़ार भी जल्दी ही हिन्दी ब्लोग्गिंग को हाथों हाथ लेगा, और तब शायद जिस एक बात की कमी हरेक हिन्दी ब्लॉगर को खलती है की अन्य भाषाओं की अपेक्षा हिन्दी ब्लोग्गिंग में आर्थिक लाभ की गुंजाईश बिल्कुल न के बराबर है , तब शायद ये शिकायत भी दूर हो जायेगी।

जो भी हो जिस तरह से पिछले कुछ समय में विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, तथा अब रेडियो पर भी ब्लोग्गिंग , हिन्दी ब्लोग्गिंग की चर्चा हो रही है , उससे इतना तो स्पष्ट हो ही चुका है की भाई हम पर भी नज़र जा रही लोगों की , तो बस चलिए सजाते, सवारते हैं अपने इस ब्लॉगजगत को ताकि भविष्य में जब इसकी उपलब्धियों की बात हो तो हमें भी गर्व हो इसका हिस्सा बनने पर.

5 टिप्‍पणियां:

टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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