प्रचार खिडकी

शुक्रवार, 14 नवंबर 2008

पांडे V/S ठाकरे ( राजनीति का २०-२० )

अब क्षेत्रवाद का मैच ये,
और भी रोचक होगा,
नारे-दंगे, लाठी- डंडे,
सभी कहेंगे , बाप रे॥
मंजे हुए दोनों कप्तान,
इक पांडे, इक ठाकरे॥
अब जलने को तैयार रहो,
तिल तिल कर हर बार मरो,
इक डालेगा पैट्रोल, दूजा,
लगवाएगा आग रे ॥
पांडे बोले , जो बिदके,
अबकी उलटा सीधा,
तो न ताज रहें न राज रे॥
भागी सेना, पहुँची थाने,
डर और चिंता, लगी सताने,
गाने लगे, सब,
सुरक्षा का राग रे॥
गरीब भला ये क्या जाने,
आया था दो रोटी कमाने,
पीछे पड़ा , बोली-भाषा का नाग रे॥

चलिए , भगवान् करे पांडे ठाकरे टीम के इस मैच में किसी निर्दोष का विकेट न गिरे, मगर मुझे डर है की ऐसा ही होगा...

2 टिप्‍पणियां:

टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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