सामने रख कर आईना , किताब लिखने बैठा हूं मैं ......
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiafjhwqJ06tnyHjxpYzGhrCOrS1T2wPs6Ao2-9hjDCyOkfXElMAVK3QGjUjDtY_msK-KEfLfIo269aVXzgvHba4iKum5L_OM4bAGhFc98IdCTyP8HoDW8XL0ehKoANVkT5nMrw3DEeevdk/s320/tiliyar+meet+3.JPG) |
कवि जी पुराने ही हैं .. |
बारूद की स्याही से , नया इंकलाब लिखने बैठा हूं मैं ,
सियासतदानों , तुम्हारा ही तो हिसाब लिखने बैठा हूं मैं
बहुत लिख लिया , शब्दों को सुंदर बना बना के ,
कसम से तुम्हारे लिए तो बहुत , खराब लिखने बैठा हूं मैं
टलता ही रहा है अब तक , आमना सामना हमारा ,
लेके सवालों की तुम्हारी सूची, जवाब लिखने बैठा हूं मैं
सपने देखूं , फ़िर साकार करूं उसे , इतनी फ़ुर्सत कहां ,
खुली आंखों से ही इक , ख्वाब लिखने बैठा हूं मैं ......
मुझे पता था कि बेईमानी कर ही बैठूंगा मैं ,अकेले में,
सामने रख कर आईना , किताब लिखने बैठा हूं मैं ...
जबसे सुना है कि उन्हें फ़ूलों से मुहब्बत है ,
खत के कोने पे रख के ,गुलाब , लिखने बैठा हूं मैं
मुझे पता था कि बेईमानी कर ही बैठूंगा मैं ,अकेले में,
जवाब देंहटाएंसामने रख कर आईना , किताब लिखने बैठा हूं मैं ...
-हाय कौन न फिदा हो जाये इस ईमानदारी पर...बहुत खूब!!!!
वाह! बहुत ही सुन्दर !
जवाब देंहटाएंगजब कर दिए भाई... वाह!
जवाब देंहटाएंआईने की उपस्थिति में अकेलापन दूर करने का यह अन्दाज कमाल का है
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंजबसे सुना है कि उन्हें फ़ूलों से मुहब्बत है ,
खत के कोने पे रख के गुलाब, लिखने बैठा हूं मैं
गजब
वाह! वाह! वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन जनाब.. पढ़कर दिल बाग़-बाग़ हो गया...
वाह वाह …………क्या आईना है और क्या ईमानदारी है………गज़ब कर रहे है आजकल्।
जवाब देंहटाएंबारूद की स्याही से , नया इंकलाब लिखने बैठा हूं मैं ,
जवाब देंहटाएंसियासतदानों , तुम्हारा ही तो हिसाब लिखने बैठा हूं मैं
सकूं और ईमानदारी के लिए हिसाब-किताब का होना जरूरी होता है !
शुभकामनाएँ!
अशोक सलूजा |
वाह| बहुत ही सुन्दर|
जवाब देंहटाएंमुझे पता था कि बेईमानी कर ही बैठूंगा मैं ,अकेले में,सामने रख कर आईना , किताब लिखने बैठा हूं मैं
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ही सुन्दर
वाह! बहुत ही सुन्दर !
जवाब देंहटाएंमुझे पता था कि बेईमानी कर ही बैठूंगा मैं ,अकेले में,सामने रख कर आईना , किताब लिखने बैठा हूं मैं ...
जवाब देंहटाएंजबसे सुना है कि उन्हें फ़ूलों से मुहब्बत है , खत के कोने पे रख के ,गुलाब , लिखने बैठा हूं मैं
बहुत खूब ...खूबसूरत गज़ल
टलता ही रहा है अब तक , आमना सामना हमारा ,
जवाब देंहटाएंलेके सवालों की तुम्हारी सूची, जवाब लिखने बैठा हूं मैं... waah kya baat hai bhut khub likha apna...
"Diversified and simple", bahout acchi kavita hai.
जवाब देंहटाएंनेताओं से तो मिलना भी नहीं चाहते हैं हम,
जवाब देंहटाएंतुम्हारी गज़ल पढ़के,आदाब लिखने बैठा हूँ मैं !
सही जा रहे हो गुरु! अब तो ससुर ई नेता आपकी गज़ल सुनके बेहोश हो जायेंगे !
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 24 - 05 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच --- चर्चामंच
behatarin rachana ,sarthak sankalp .
जवाब देंहटाएंख़त के कोने पर गुलाब और सामने आईना ...
जवाब देंहटाएंतिस पर लिखना है इन्हें खराब ...
मुमकिन नहीं था ना ...
मुझे पता थाकि बेईमानी कर ही बैठूंगा मैं,अकेलेमें, सामने रख कर आईना,किताब लिखने बैठा हूं मैं ...
जवाब देंहटाएंसभी शेर एक से बढ़कर एक..... वाह!
क्या लाजवाब ग़ज़ल कही है.
बहुत ख़ूब !
बहुत ही बेहतरीन
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
वाह-वाह...पहले अन्ना ने लिखी...बाबा रामदेव लिखने जा रहें हैं...आपने भी लिख दिया...सियासतदानों का हिसाब...खैर नहीं उनकी...
जवाब देंहटाएंanuradhaggnani4o ..जी ने मेल पर कहा ...
जवाब देंहटाएंआज पता नहीं क्यों ....ब्लॉग पर commant पोस्ट नहीं हो पा रहे है .........हो सके तो मेरा ये commant ब्लॉग पर जरुर पोस्ट कर देना दोस्त
सच में कमाल का लिखा है पूरी ईमानदारी से ....बहुत बहुत खूब ...वाह
जबसे सुना है कि उन्हें फ़ूलों से मुहब्बत है ,
जवाब देंहटाएंखत के कोने पे रख के ,गुलाब , लिखने बैठा हूं मैं
wah.behad khoobsurat......
यह आज के दौर की रचना है। नाम लिए बगैर,सीधी मार करती हुई!
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह इस बेबाकी मे ये नजाकत कविता लेखन के श्रेष्ठ उदाहरणो मे से एक कविता
जवाब देंहटाएंमुझे पता था कि बेईमानी कर ही बैठूंगा मैं ,अकेले में,
जवाब देंहटाएंसामने रख कर आईना , किताब लिखने बैठा हूं मैं ...
बहुत ख़ूबसूरत सटीक प्रस्तुति...
मुझे पता था कि बेईमानी कर ही बैठूंगा मैं ,अकेले में,
जवाब देंहटाएंसामने रख कर आईना , किताब लिखने बैठा हूं मैं ...
.........balak ko balya-awastha me
padha gaya ek path 'nachiketa' yaad
aa gaya.......
bare bhaiji.....by god apke tewar 'raw girjesh' jaise hote hain.....
pranam.
मित्रों चर्चा मंच के, देखो पन्ने खोल |
जवाब देंहटाएंआओ धक्का मार के, महंगा है पेट्रोल ||
--
बुधवारीय चर्चा मंच ।