हम जानते हैं तुम जिस देस के वासी हो ,
उस देश को अर्से से इस खेल का चाव है ,
दिल थाम के बैठना सामने चुनाव है ॥
बडे भोले हो ओ बाउजी , फ़न्ने बने फ़िरते हो ,
वो पपलू बनाए जा रहे हैं ,पप्पू सा स्वभाव है ,
दिल थाम के बैठना सामने चुनाव है
साला मुर्गा टंगा है उलटा अस्सी रुपए में,
एक किलो टमाटर होता सौ का भाव है ॥
दिल थाम के बैठना सामने चुनाव है॥
न साले घोषणा बंद करते हैं न बोलना ही ,
गरीब के मेनिफ़ेस्टो में अब भी वडा पाव है,
दिल थाम के बैठना सामने चुनाव है॥
बडे जिगरे वाले बनते हो लकतेजिगर बे ,ऐसा क्या ,
उत्ता तो कलेजा ही बडा नहीं,जित्ता बडा कलेजे पे घाव है ॥
दिल थाम के बैठना सामने चुनाव है ॥
कभी कूका करते थे मोर पपीहे बागों में, अबे होंगे ,
आजकल हर बाग में उल्लू कौवों की कांव कांव है,
दिल थाम के बैठना सामने चुनाव है ॥
इहां पब्लिक का लुटिया गोल है खटते पिटते,
मुदा हाकिम के थर्मामीटर में ,ताप का बढाव है ,
दिल थाम के बैठना सामने चुनाव है
जरा पूछ के देखिए डोरेमॉन से , यही कह है केनिची से,
बेशक जीजा हमें " एक्सीडेंटल" मिले , दीदी में ठहराव है
दिल थाम के बैठना सामने चुनाव है
हर किसी के पास है , किसी ने छुपा रखी है आस्तीनों में ,
तो कोई मूंछों पे टिका के एक छप्पन ,दे रहा ताव है
दिल थाम के बैठना सामने चुनाव है
एकदम सटीक और समसामयिक.....
जवाब देंहटाएंशुक्रिया और आभार मोनिका जी
हटाएंhaan baithe to sab aise hi hain .nice post
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शालिनी जी
हटाएंसटीक लेखन.
जवाब देंहटाएंआभार आपका जेन्नी शबनम जी
हटाएंबेहद उम्दा और बेहतरीन...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ