प्रचार खिडकी

शुक्रवार, 11 जनवरी 2008

हर कोई सब कुछ नहीं कर सकता

मेरी पत्नी उस दिन अचानक गुनगुनाने लगीं, दरअसल वो जब भी कोई काम कर रही होती हैं और पूरी तसल्ली से कर रही होती हैं तो स्वाभाविक रुप से कुछ ना कुछ गुनगुनाने लगती हैं। और खुदा का लाख लाख शुक्र है कि उनका गला भी काफी अच्छा है । वैसे सुरों कि कोई समझ नहीं है मुझे मार इतना तो पता चल ही जाता है कि वे बेसुरा और नीरस नहीं गा रही हैं। उन्होने मुझे बताया था कि किस प्रकार उनके स्कूल के दिनों में उनके गायन कि रूचि को देखते हुए और उनकी आवाज़ को देखते हुए उन्हें उनकी टीचर ने संगीत कोअपना एक विषय बनाने को कहा था , और किस प्रकार बाद में कुछ कारणों से वो इसे जारी ना रख पायीं। अब जबकि पिछले कुछ सालों से लगातार टी वी पर संगीत, गायाँ आदि कि टैलेंट हंत प्रतियोगिताओं का आयोजन हो रहा है तो ऐसे में उन्हें इस बात का अफ़सोस ज्यादा होता है। यदाकदा वे इनमें अपनी दावेदारी पेश करने के लिए जोर आज्माएश भी करती रहती हैं। एक बार तो उनकी जिद पर मैं उन्हें संगीत की शिक्षा दिलवाने को भी तैयार हो गया, मगर थोडे ही दिनों में उन्हें वास्तविकता का पता चल गया। फिर मैंने उन्हें समझाया कि हर इंसान में बहुत सारी खूबियाँ होती हैं और ये इश्वर की देन होती है।


मेरा मानना ये है कि हर इंसान एक साथ सब कुछ नहीं कर सकता। हाँ , हो सकता है कि ऐसा सब के साथ ना हो और कुछ लोगों के लिए वो सब कुछ कर पाना संभव हो जो वे चाहते हों या फिर कि जो वे कर सकते हों। मगर आम तौर पर तो ऐसा ही होता है कि इंसान बहुत कुछ वैसा नहीं कर पाटा जैसा करना चाहता है तो मुझे तो लगता है कि आदमी को चाहिए कि बिना इसकी परवाह किये उसे वो करना चाहिए जो उसके बस में हो और उसमें अपना सब कुछ झोंक देना चाहिए परिणाम निश्चित ही सकारात्मक निकलेगा। और फिर निराश होने से पहले उनके बारे में सोचना चाहिए जो शायद जिन्दगी में बहुत कुछ करने कि चाहत और काबिलियत रखने के बावजूद कुछ भी नहीं कर पाते। मेरे कहने का मतलब ये है कि जिन्हें इस बात का अफ़सोस होता है कि वे महंगे जूते नहीं खरीद पाए नहीं पहन पाए उन्हें उनके बारे में सोचना चाहिए जिनके पास जूते पह्नने के लिए पाँव ही नहीं होते ।

शायद ये नज़रिया आदमी को ज्यादा सुकून दे ।

अगली पोस्ट :- आईये ब्लोग जगत को सार्थक बनायें .

3 टिप्‍पणियां:

  1. आप पत्नी से समय समय पर एकाध गीत की फरमाइश कर दिया करें ... परिवार में गीत सुनने सुनाने का अपना ही आनन्द है... जो है , जैसा है...उसी में खुश रहने का मंत्र जो समझ ले तो फिर कोई दुख ही न हो... बह्तु अच्छी बात कह गए...

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  2. मुझे बचपन से गाने का बहुत शौक है, स्कूल में बहुत गाने गाये। अक्सर गुनगुमाता रहता हूँ, सुनने वाले अक्सर कहते हैं, इतना बढ़िया गाते हो, एकाद गाना रिकॉर्ड करो... कहीं कोशिश करो
    एक दिन सोचा एक गाना रिकॉर्ड करवा कर महफिल पर ही लगाते हैं , किया भी पर जब अपने गाये गाने को सुना तो लगा कि अच्छा किया बिना सुने नहीम लगाया वरना अपनी महफिल की दुकानदारी तो बंद ही हो जाती। :)
    वो जमाने गये जब मियां फाख्ते उड़ाते थे मतलब स्कूल में गाया करते थे।

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  3. aapki tippniyaan padh kar patnee ko sunaayee hain unke liye ye kisi tonic se kam nahin.

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टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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