प्रचार खिडकी

शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

गुनाहों कि फेहरिस्त, किसी को दिखानी नहीं होती



रोज़ दिखते हैं,
ऐसे मंज़र कि,
अब तो ,
किसी बात पर ,
दिल को,
हैरानी नहीं होती॥

झूठ और फरेब से,
पहले रहती थी शिकायत,
पर अब उससे कोई,
परेशानी नहीं होती॥

रोज़ करता हूँ ,
एक कत्ल,
कभी अपनों का,
कभी सपनो का,
बेफिक्र हूँ ,
गुनाहों कि फेहरिस्त,
किसी को दिखानी नहीं होती॥

लोग पूछते हैं,
बदलते प्यार का सबब,
कौन समझाए उन्हें,
रूहें करती हैं, इश्क,
मोहब्बत कभी,
जिस्मानी नहीं होती॥

सियासतदान जानते हैं,
कि सिर्फ़ उकसाना ही बहुत है,
शहरों को ख़ाक करने को, हर बार,
आग लगानी नहीं होती॥

पाये दो कम ही सही,
पशुता में कहीं आगे हैं,
फितरत ही बता देती है,
नस्ल अब किसी को अपनी,
बतानी नहीं होती॥

12 टिप्‍पणियां:

  1. नज्म बहुत खूबसूरत है। कितनी भी बधाइयाँ कम पड़ेंगी।

    जवाब देंहटाएं
  2. रोज़ करता हूँ ,
    एक कत्ल,
    कभी अपनों का,
    कभी सपनो का,
    बेफिक्र हूँ ,
    गुनाहों कि फेहरिस्त,
    किसी को दिखानी नहीं होती॥

    लोग पूछते हैं,
    बदलते प्यार का सबब,
    कौन समझाए उन्हें,
    रूहें करती हैं, इश्क,
    मोहब्बत कभी,
    जिस्मानी नहीं होती॥


    वाह झा साहब बहुत खूब ,
    कल से तो आप लगातार कातिलाना हमले कर रहे है !

    जवाब देंहटाएं
  3. insaan jaanvaro se do pair kam jarur rakhta hi lekin, pashuta kewal insaan ka hi gun hai.

    bahut sundar rachna...
    shubhkaamanaayein...

    जवाब देंहटाएं
  4. हमने लगाना चाहा था प्रेम का शजर
    इम्तिहान-ए-मुहब्बत मे था इक कहर
    मामला संगीन हुआ रखने लगे खंजर
    पता नही कब दिखाएं लहुलुहान मंजर

    जय हो झा जी-
    हमको तो इतना ही आया बस

    जवाब देंहटाएं
  5. भाई जब इतना अच्छा लिखते हो तो क्यों यूं ही इधर उधर समय गंवाते रहते हो :)

    जवाब देंहटाएं
  6. झूठ और फरेब से,
    पहले रहती थी शिकायत,
    पर अब उससे कोई,
    परेशानी नहीं होती॥
    बहुत सुंदर रचना लगी
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  7. काजल भाई , इधर उधर से आपका मंतव्य क्या है मैं ठीक ठीक समझा नहीं अलबत्ता ईशारा तो समझ रहा हूं कि ये शायद आपने चर्चा के लिए कहा है , मगर खुल कर कहते तो बात ठीक समझ में आ जाती , हां तारीफ़ के लिए शुक्रिया आपका

    अजय कुमार झा

    जवाब देंहटाएं
  8. तीखे व्यंग्यों से सुसज्जित एक खूबसूरत रचना

    जवाब देंहटाएं
  9. गजब की बेहतरीन रचना उतारी!!

    जबरदस्त!!

    जवाब देंहटाएं
  10. bhut hi behtreen rachna ajay ji smaaj ki vyavstaao se aahat antraatma ki aavaaj
    saadar
    praveen pathik
    997196984

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुन्दर रचना है । यथार्थ को दर्शाती हुई । बधाई ।

    जवाब देंहटाएं

टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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