कोशिश तो,
हमने भी की,
अपनी झोलियाँ,
भरने की,
किस्मत अपनी,
कि हर बार,
खुशियों की,
खुरचन ही मिली।
जब कर लिए,
सारे प्रयास,
और ढूंढ लिए,
कई प्रश्नों के,
उत्तर भी,
हर जवाब से,
इक नयी,
उलझन ही मिली॥
चाहा की तुम्हें,
रुसवा करके,
सिला दूँ, तुम्हें,
तुम्हारी बेवफाई का,
तुम्हें दी ,
हर चोट से,
अपने भीतर इक,
तड़पन सी मिली॥
मैं मानता था,
अपने अन्दर,
तुम्हारे वजूद को,
मगर न जाने क्यों,
हर बार , बहुत,
दूर तुम्हारी,
धडकन ही मिली ॥
वाह वाह! बेहतरीन कविवर!
जवाब देंहटाएंबड़ी सीधी और सरल भाषा में काफी बड़ी बात की आपने... एक अतुकांत कविता की यही खासियत है...
जवाब देंहटाएंजय हिंद... जय बुंदेलखंड
हर जवाब से,
जवाब देंहटाएंइक नयी,
उलझन ही मिली॥
उलझ कर उलझनों से उलझन सुलझाना होगा
दिल बेशक रोये मगर हमको तो गाना होगा.
देखें के अब नसीब से अपने क्या मिले,
जवाब देंहटाएंअब तक तो जो भी दोस्त मिले, बेवफ़ा मिले...
खुशियों की खुरचन...झा जी आपको पता नहीं हर खुशी की बात पर खुशदीप का पेटेंट हैं...आपने ये शब्द इस्तेमाल किया, आप खुद ही क़ानून के जानकार हैं, इसलिए मेरी तरफ़ से खुद ही अपने को नोटिस भेजने के लिए तैयार कीजिए...समझ गए न...
जय हिंद...
चाहा की तुम्हें,
जवाब देंहटाएंरुसवा करके,
सिला दूँ, तुम्हें,
तुम्हारी बेवफाई का,
तुम्हें दी ,
हर चोट से,
अपने भीतर इक,
तड़पन सी मिली॥
हर अहिंसावादी के साथ यही होता है। आपकी बेबाकी तथा साफगोई का बयान प्रेरक है।
किस्मत अपनी,
जवाब देंहटाएंकि हर बार,
खुशियों की,
खुरचन ही मिली
अजय जी फिर भी शुक्र करें खुशियों की एक खुर्चन तो मिली कई बार वो भी नसीब नही होती। बहुत अच्छी लगी आपका कविता । शुभकामनायें
मुझे खुरचन बहुतै pasand है
जवाब देंहटाएंaaj to gazab ki rachna likhi hai..........dil ko gahre tak chhoo gayi.
जवाब देंहटाएंयुवा लोग निराशा की बात करते अच्छे नहीं लगते। जोश के साथ आशा का संचार करो, हम जैसे उम्रदराज लोगों में।
जवाब देंहटाएंअजय जी फिर भी शुक्र करें खुशियों की एक खुर्चन तो मिली कई बार वो भी नसीब नही होती। बहुत अच्छी लगी आपका कविता । शुभकामनायें
जवाब देंहटाएं