हुआ जो ,
हादसा,
मेरे साथ,
जमाने भर ,
के लिए,
वो बस,
एक ख़बर थी॥
मैं तो,
सतर्क था,
और ,
सचेत भी,
मगर जिसने ,
हमें रखा,
अपनी ठोकरों पर,
शायद उसकी ही,
कहीं और ,
नज़र थी॥
मैंने छोड़ दिए,
कई रास्ते,
और कई,
मंजिलें भी,
जिसके लिए,
वो तो,
पहले ही,
किसी और की,
हमसफर थी॥
मैं ढूँढ ,
रहा था,
अपनी किस्मत को,
आकाश की,
बुलंदियों पर,
पाया तो ,
गर्दिशों में,
दर बदर थी॥
इक छटपटाहट,
सी थी,
जीवन चक्र
को चूमने की,
जब छुआ ,
तो जाना,
ये झील ।
में घूमती,
भंवर थी...
हादसा,
मेरे साथ,
जमाने भर ,
के लिए,
वो बस,
एक ख़बर थी॥
मैं तो,
सतर्क था,
और ,
सचेत भी,
मगर जिसने ,
हमें रखा,
अपनी ठोकरों पर,
शायद उसकी ही,
कहीं और ,
नज़र थी॥
मैंने छोड़ दिए,
कई रास्ते,
और कई,
मंजिलें भी,
जिसके लिए,
वो तो,
पहले ही,
किसी और की,
हमसफर थी॥
मैं ढूँढ ,
रहा था,
अपनी किस्मत को,
आकाश की,
बुलंदियों पर,
पाया तो ,
गर्दिशों में,
दर बदर थी॥
इक छटपटाहट,
सी थी,
जीवन चक्र
को चूमने की,
जब छुआ ,
तो जाना,
ये झील ।
में घूमती,
भंवर थी...
इक छटपटाहट,
जवाब देंहटाएंसी थी,
जीवन चक्र
को चूमने की,
जब छुआ ,
तो जाना,
ये झील ।
में घूमती,
भंवर थी...
खूबसूरती से जज़्बात अभिव्यक्त किये हैं...जिंदगी सच में ही भंवर के समान ही होती है...बहुत खूब
इक छटपटाहट,
जवाब देंहटाएंसी थी,
जीवन चक्र
को चूमने की,
जब छुआ ,
तो जाना,
ये झील ।
में घूमती,
भंवर थी...
इक छटपटाहट,
जवाब देंहटाएंसी थी,
जीवन चक्र
को चूमने की,
जब छुआ ,
तो जाना,
ये झील ।
में घूमती,
भंवर थी...
वाह क्या खूब कहा ।
वाह,सुंदर.
जवाब देंहटाएंवाह!! बहुत खुब..आभार!
जवाब देंहटाएंhttp://kavyamanjusha.blogspot.com/
भँवर थी....
जवाब देंहटाएंहमने भी यही जाना, बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति...
बहुत सुन्दर रचना है। बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंइक छटपटाहट,
जवाब देंहटाएंसी थी,
जीवन चक्र
को चूमने की,
जब छुआ ,
तो जाना,
ये झील ।
में घूमती,
भंवर थी...
-बहुत उम्दा रचा है आपने!! वाह!
रचना अच्छी लगी ।
जवाब देंहटाएंएक दुटे दिल की भाव पुर्ण आवाज, एक खामोश दिल की छट पटाहट
जवाब देंहटाएंयह आंदाज बहुत अच्छा लगा.धन्यवाद
वाह!! बहुत खुब..आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएं